मातृभाषा में पढ़ाई क्यों आवश्यक है

चार-पांच वर्ष की आयु में बच्चा पहली बार स्कूल जाता है, वहां पुस्तकें व अध्यापन की भाषा उसके घर में बोली जाने वाली भाषा से अचानक भिन्न हो जाती है। ऐसे में नए व अनजान शब्दों को समझने की चुनौती में फंस जाता है, उन शब्दों से ज्ञान प्राप्त करना उसके लिए लगभग असंभव हो जाता है। दैनिक जागरण में यूनेस्को की रिपोर्ट के आधार पर समाचार प्रकाशित हुआ है कि विश्व के 40 प्रतिशत विद्यार्थी मातृभाषा में शिक्षा से वंचित हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूल व पुस्तकों से दूर भागने लगते हैं। विश्व में 7,000 से अधिक भाषाएं हैं, परंतु अध्ययन व अध्यापन में कुछ ही भाषाओं का प्रयोग होता है। शेष भाषाएं केवल बोलचाल तक सीमित रह जाती हैं। ऐसी भाषाओं को बोलने वाले बच्चों के लिए पुस्तकें पराई हो जाती हैं। मातृभाषा में पढ़ाई से बच्चे का दिमाग और दिल दोनों खुलते हैं। इस बड़े अंतर को पाटने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई प्रविधान किए हैं। यह नीति बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर देती है, वहीं अन्य भाषाओं का ज्ञान केवल जानकारी के स्तर पर प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। अगर नई शिक्षा नीति अक्षरशः लागू हुई तो बच्चे स्कूल व पाठ्यपुस्तकों से जुड़ाव महसूस करने लगेंगे। इससे बच्चों बच्चों में वर्ग सापेक्ष योग्यता बढ़ेगी और ग्रामीण बच्चों को भी आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकेंगे। मातृभाषा में पढ़ाई क्यों आवश्यक ह

Related Posts

See also  विद्यालय के बच्चों का जारी हुआ ड्रेसकोड

Paid Mock Test

You cannot copy content of this page

Need Help?
Examination Update