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जरुरी नहीं है की सब लोग आपको समझ पायें क्यूंकि तराजू क्वांटिटी बताता है क्वालिटी नहीं !
दोस्त के साथ बैठना बहुत आसान है…
मगर दोस्त के साथ खड़ा रहना बहुत मुश्किल है…।
ध्वजा रोहण और ध्वजा तुलन (फहराने) में क्या अन्तर है!
پرچم کشای میں اور پرچم لہرانے میں کیا فرق ہے
सबसे पहले हम ध्वजा रोहण को जानते हैं! :– 15 अगस्त 1947 को लाल किला से यूनियन जैक को ऊपर से नीचे उतारा गया और उस के स्थान पर राष्ट्रीय झंडा तिरंगा का रोहन किया गया था! भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा! रोहन का अर्थ होता है नीचे से ऊपर की ओर जाना जो प्रगति की प्रतीक है! उस दिन हम भारतीय अंग्रेजों के 200 वर्षों के गुलामी के बाद स्वतंत्र हुए थे! तो हम प्रगति की ओर अग्रसर हो रहे थे! तो भारतीय तिरंगा को बांस के नीचे बांध कर रस्सी से ऊपर खींचते हैं! और ऊपर में जा कर खुलते हैं इस प्रक्रिया को ध्वजा रोहण कहते हैं, और यह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर होते हैं! और प्रधानमंत्री के कर कमलों से होता है! और मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा निर्मित लाल किला पर होता है!
ध्वजा तुलन ( फहराना) :– यह प्रथम बार 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने दिल्ली के राजपथ जो इंडिया गेट के सामने है! तिरंगा फहराया था! इस अवसर पर बांस के ऊपर झंडा पहले से रस्सी द्वारा बांधे रहते हैं,जो नीचे से रस्सी से खींच दिया जाता है, और ऊपर खुल कर लहरने लगते हैं! इस प्रक्रिया को झंडा फहराना कहते हैं! और यह गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट के सामने राजपथ पर राष्ट्रपति द्वारा सम्पन्न होता है!
कहने का अर्थ है कि स्वतंत्रता दिवस पर सबसे पहले दिल्ली के लाल किला पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय झंडा रोहण होता है, और गणतंत्र दिवस को दिल्ली के राजपथ पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय झंडा को फहराया जाता है!
राष्ट्रपति भवन जो पहले वाइस राय हाउस के नाम से जाने जाते थे! यदि राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा झंडा फहर रहा है इस का अर्थ है राष्ट्रपति भारत में है, यदि झंडा झुका हुआ है इस का अर्थ है देश के किसी महापुरुष या राष्ट्रीय नेता का निधन हो गया है, यदि झंडा नहीं फहर रहा है,इस का अर्थ है राष्ट्रपति भारत के बाहर विदेश भ्रमण पर है!
अवगुणों को दूर करके सद्गुणी उपहार दिया
अनेकों शिक्षण विधियों का उपयोग बारम्बार किया
और कर्तव्यनिष्ठा, ज्ञानसागर, नेतृत्वशक्ति उत्साह से हम
शिक्षक हैं, हमने सदा शिक्षा का ही प्रसार किया
© Md Rahmatullah